उद्देश्य

  • तीरगर समाज को संगठीत कर प्रेमभाव बनाये रखना ।
  • समाज मे व्याप्त सामाजिक कुरीतियों जैसे मृत्युभोज, बाल विवाह आदि को जड़ से मिटाने हेतू प्रयास करना तथा कुरीतियों के कुप्रभाव के प्रति समाज को जागरूक करना।
  • तीरगर समाज के सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक एवं राजनीतिक विकास हेतू जागरूकता लाना व समाज के संर्वागीण विकास मे सहयोग करना तथा सामाजिक आर्थिक समानता की स्थापना के लिए प्रयास करना।
  • सामाजिक प्रसंगो के कार्य हेतू धर्मशाला, छात्रावास का निर्माण करना।
  • अंधविश्वास ओर पाखण्ड के प्रति जागरूकता फैलाना तथा समाज को ज्ञान विज्ञान के प्रति जागरूकता करना।
  • तीरगर समाज में बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करना और मातृशक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगारोन्मुखी शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना।
  • तीरगर समाज के सामुहिक विवाह सम्मेलनों का समय समय पर आयोजन करवाना।
  • तीरगर समाज कि विधवा माताओं कि बेटियों के विवाह करवाने हेतू आर्थिक मदद करवाना।
  • तीरगर समाज के असक्षम, गरीब, दिव्यांग बच्चो के लिए शिक्षा कि व्यवस्था करना और उच्च अध्धयन के लिए सहायता उपलब्ध करवाना।
  • तीरगर समाज को लोकतांत्रिक मूल्यों से अवगत करवाना और समतामूलक समाज कि स्थापना के लिए प्रयास करना।
  • तीरगर समाज में नशे के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूकता फैलाना और नशामुक्त समाज कि स्थापना के लिए प्रयास करना।
  • तीरगर समाज को महापुरुषों के जीवन संघर्ष से अवगत करवाना, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रेरित एवं प्रयास करना।

हमारा कार्य

जीवन चक्र के दृष्टिकोण के बाद, तीरगर युवा फोर्स समिति, सुंधामाता चार प्रमुख क्षेत्रों में केंद्रित कल्याण परियोजनाओं – बाल शिक्षा, परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवा, कौशल प्रशिक्षण और युवाओं के लिए आजीविका, और महिला सशक्तिकरण के माध्यम से सामुदायिक जुड़ाव के माध्यम से गहनता से काम करता है।

अब तक, हम लगभग 1 हजार से अधिक बच्चों और परिवारों के जीवन को सीधे प्रभावित करने में सक्षम हैं।

1. शिक्षा 2. स्वास्थ्य 3. आजीविका 4. महिला सशक्तिकरण

तीरगर जाति का परिचय

तीरगर का शाब्दिक अर्थ :- तीर बनाने वाले अर्थात प्राचीन काल मे तीर से आजीविका चलाने वाले जनसमुदाय को तीरगर कहा गया। पाणिनि ने अपने ग्रन्थ अष्टाधायी में तीरगर को आयुधजीवी कहा है। तीरगर समुदाय केवल तीर विद्या में ही निपुर्ण नही थे अपितु ये तलवार, भाले, फरसे, ओर लाठी चलाने में भी निपुर्ण थे तीरगर समुदाय के लोग राजा के निजी अंगरक्षक होते थे प्राचीन समय मे राजा का दौवारिक भी तीरगर ही होता था ये गुप्तचर ओर घुड़सवार भी होते थे ओर कर वसूलने का कार्य भी करते थे उस समय तीरगर समुदाय का समाज मे सामाजिक स्तर और आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी ,मध्य काल मे भारत पर अनेक विदेशी आक्रमण हुए। मध्य काल मे युध्दों में तीरकमान की जगह गोले बारूद तलवार व अन्य आधुनिक हथियारों का प्रयोग होने लगा। जिस कारण तीरगर समुदाय का तीरकमान का व्यवसाय चोपट हो गया। युध्दों में राजा महाराजा धनुषबाण की जगह नए हथियार प्रयोग में लेने लगे। जिसके कारण तीरगर समुदाय का राजदरबार में महत्व धीरे धीरे कम होने लगा परिणाम स्वरूप तीरगर समाज का सामाजिक स्तर और आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई। अब तीरगर जाति के लोग तीर बनाने की जगह पर अनेक प्रकार के कार्य करने लगे। अंग्रेजी शासन के दौरान तीरगर समुदाय सामाजिक स्थिति, आर्थिक स्थिति और राजनीतिक स्थिति से काफी पिछड़ गए।

भारतीय संविधान में तीरगर समुदाय को वर्तमान स्थिति को देखकर अनुसूचित जाति में शामिल किया। तीरगर जाति के लोग भारत के चार राज्य – राजस्थान के अनुसूचित जाति क्रमांक – 58, गुजरात के अनुसूचित जाति क्रमांक – 28, महाराष्ट के अनुसूचित जाति क्रमांक – 58, एवं कर्नाटक के अनुसूचित जाति क्रमांक -100, पर अंकित है तीरगर जाती समुदाय के लोग इन चार राज्यो में निवासरत है वर्तमान समय मे तीरगर जाति के लोग राजनैतिक क्षेत्र, सरकारी सेवा में, कला संगीत, खेल क्षेत्र, व्यपार, खेती, ओर मजदूरी का कार्य करते हैं।

तीरगर समाज (तीन पट्टी) राजस्थान के चार जिले – बाड़मेर, जालोर, पाली ओर सिरोही जिले की तहसील पचपदरा, गुड़ामालानी, सिवाना, जालोर, भीनमाल, बागोड़ा, आहोर, जसवन्तपुरा, रानीवाड़ा, सांचोर, सिरोही, रेवदर, पिंडवाड़ा, शिवगंज, आबूरोड, सुमेरपुर, पाली तहसील व गुजरात के धानेरा तहसील में निवास करते हैं।

हमारे समाज के अधिकांश लोग मकान कारीगर का काम करते हैं । इसके अलावा खेती, व्यापार, नोकरी, मजदूरी का कार्य करते हैं। हमारे समाज की राजनैतिक क्षेत्र व सरकारी सेवा में सहभागिता न्यून है फिर भी हमारा तीरगर समाज दिन रात प्रगति कर रहा है।

सबका साथ तीरगर समाज का विकास – तीरगर युवा फोर्स समिति सुन्धामाता

तीरगर युवा फोर्स समिति के बारे में

तीरगर युवा फोर्स समिति सुन्धामाता की स्थापना 29 जनवरी 2017 को तीरगर समाज धर्मशाला सुन्धामाता की गई, संस्था के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार जी धानसा, उपाध्यक्ष श्री महेंद्र कुमार जी धुम्बडिया, सचिव श्री चम्पा लाल जी बिठुडा, कोषाध्यक्ष श्री रामचन्द्र जी जसोल व 25 अन्य साथियों ने मिलकर स्थापना की थी तीरगर युवा फोर्स के अथक प्रयासो से प्रथम प्रतिभावान सम्मान समारोह 18 नवम्बर 2017 को 27 परगना के रामचन्द्रजी मंदिर सुमेरपुर में आयोजित किया गया, द्वितीय प्रतिभावान सम्मान समारोह 18 नवम्बर 2018 को 52 परगना के रामचन्द्रजी मंदिर जसोल में सफलतापूर्वक आयोजित हुया । समाज के बंधुयों ने बढ़चढ़कर भाग लिया 18 नवम्बर 2018 को जसोल में नई कार्यकरणी का गठन किया गया जिसमें अध्यक्ष श्री नवाराम जी मारोल, उपाध्यक्ष मेवाराम जी राठौड़ मेडाजागीर, सचिव श्री इंद्र कुमार जी रतनपुरा, कोषाध्यक्ष श्री बसन्त जी गोयली को चुना गया । 28 दिसम्बर 2018 को अध्यक्ष श्री नवाराम जी मारोल के अध्यक्षता में बैठक का आयोजन सुंधामाता धर्मशाला में किया गया ।

बैठक में संस्था का विस्तार ।

संस्था को संवैधानिक मान्यता हेतु पंजीकरण।

राजस्थान रजिस्टिकरण अधिनियम 1958 के अंर्तगत रजिस्टार जालोर से करवाने का निर्णय लिया गया।

6 फरवरी 2019 को तीरगर युवा फोर्स समिति सुंधामाता संवैधानिक मान्यता मिली ।

वर्तमान में संस्था के 160 सदस्य है ।

इसका कार्य क्षेत्र निम्न जिलों सिरोही, पाली, जालौर, बाड़मेर (राजस्थान) एवं बनासकांठा (गुजरात) तक विस्तृत है

‟ सबका साथ तीरगर समाज का विकास ˮ

पंजीकृत कार्यालय

तीरगर युवा फोर्स समिति, सुंधामाता

तीरगर समाज धर्मशाला सुन्धामाता पर्वत, जालौर